और लगे यह लोक सुहावना जिसे पढ़ आत्मसात करें जन जन। और लगे यह लोक सुहावना जिसे पढ़ आत्मसात करें जन जन।
कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। मधुरिम मधुरिम कविता है तो कवि है ,कवि है तो कविता जीवन की लय समझाती है जीवन सरिता। म...
कविता क्या है ? शब्दों की क्रीड़ा है। कवि को होने वाली , प्रसव पीड़ा है। कविता क्या है ? शब्दों की क्रीड़ा है। कवि को होने वाली , प्रसव पीड़ा है...
जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है। जात पात और धर्म बैठे तराजू की एक ओर हैं, समझ नहीं आता दूसरी ओर बैठा कौन है।
उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है। उम्र का सूरज अब, ढलान पर जा रहा है। लगता है कि बुढ़ापा आ रहा है।
माँ माँ